The-secret-of-the-nagas-hindi-by-Amish-Tripathi.pdf

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The-secret-of-the-nagas-hindi-by-Amish-Tripathi.pdf आज वह एक भगवान है। 4000 साल पहले, वह केवल एक इंसान था। अब शिकार शुरू हो चुका है। भयावह नागा योद्धा ने उसके मित्र ब्रहस्पति की हत्या कर दी है और अब उसकी पत्नी सती का पीछा कर रहा है। तिब्बती प्रवासी शिवा, जो बुराई का संहारक होने की भविष्यवाणी का पात्र है, तब तक चैन नहीं लेगा जब तक वह अपने राक्षसी शत्रु को ढूंढ न ले। उसका प्रतिशोध और बुराई तक पहुँचने का मार्ग उसे नागाओं सर्प लोगों के द्वार तक ले जाएगा। उसे इस बात का पूरा यक़ीन है।

बुराई के उभरने के स्पष्ट संकेत हर जगह मौजूद हैं। एक राज्य चमत्कारी औषधि के लिए बंधक बन चुका है। एक युवराज की हत्या हो चुकी है। वासुदेव शिवा के दार्शनिक मार्गदर्शक उसकी अडिग आस्था को तोड़ते हुए अंधकार की शक्तियों की सहायता लेते हैं। यहाँ तक कि परिपूर्ण साम्राज्य मेलुहा भी एक भयानक रहस्य छिपाए हुए है माइका, जन्मों का नगर।

शिवा को यह पता नहीं कि कोई एक महान कठपुतलीकार एक भव्य खेल खेल रहा है। इस यात्रा में जो उसे प्राचीन भारत के कोने-कोने तक ले जाएगी, शिवा सत्य की खोज करता है ऐसे देश में जहाँ मृत्यु और रहस्य हर कदम पर हैं , केवल यह जानने के लिए कि कुछ भी वैसा नहीं है जैसा दिखता है।

काशी के लिए प्रस्थान……
इसलिए वह नागाओं के बारे में और जानने के लिए वह अपने साथियों के साथ काशी गए जहाँ ब्रंगा का एक समुदाय रहता है। वह ब्रंगा नहीं जा सकते थे क्यूंकि किसी बहार के व्यक्ति का जाने कि अनुमति नहीं है।

पर्वतेश्वर का मृत्यु से बचना………
काशी से उन्हें पता चला है कि काशी में ब्रंगा समुदाय के दंगे में पर्वतेश्वर घायल हो गया। इसलिए पर्वतेश्वर को बचाने के लिए उनके नेता ने उन्हें औषधि दी। उस औषधि से पर्वतेश्वर ठीक हो गया। इस दौरान आयुर्वति को पता चला कि यह औषधि जिस जड़ी बूटी से बनाया गया है। वह केवल पंचवटी से मिलता है ,जो नागाओं की राजधानी है।

देवोदास से पूछताछ …………
शिव के द्वारा देवोदास से पूछे जाने पर , देवोदास ने बताया कि यह जड़ी बूटी नागा हमें महामारी से बचने के लिए देते है।

ब्रंगा जाने की तयारी …..
यह सुनते ही शिव ने ब्रंगा जाने का निश्चय लिया। देवोदास ने ब्रंगा के सफर के लिया विशेष जहाज मंगवाया।

पुत्र का जन्म और नामकरण …..
दूसरी तरफ , काशी में सती ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम सती अपनी प्रिय मित्र कृतिका के नाम पर रखा गया। इसलिए सती और शिव के पुत्र का नाम कार्तिक रखा गया ।

खूंखार शेरों का आकर्मण …..
जैसी ही शिव ब्रंगा के लिया निकला , उसके कुछ दिनों बाद ही शेरों से काशी के ग्रामीणों को बचाने के लिए सती और उनके कुछ सैनिक चले गए। शेरों और सती के युद्ध में कुछ नागाओं ने उनकी मदद की। नागाओं की मदद से सती ने उन खूंखार शेरों को मार दिया। इस तरह सती और नागाओं में उन ग्रामीणों की रक्षा की।

सच का खुलासा ….
सती के पूछने पर नागा औरत ने बताया कि वह काली है , सती की जुड़वाँ बहन जिसे उसके पिता दक्ष ने नागा उन्हे के कारण त्याग कर दिया था। और दक्ष ने सती के जीवित (नागा पुत्र) गणेश को मृत घोषित कर दिया था । यह बातें सुनकर सती को विश्वास नहीं हुआ ।

“सत्य को पसंद करने की आवश्यकता नहीं है। बोलना ही पड़ता है। इसे बोलो। सच्चाई आपको चोट पहुँचा सकती है, लेकिन यह आपको आज़ाद कर देगी।”

पशुराम से मुलाकात ……
ब्रंगा में , शिव की मुलकात एक वैरागी दस्यु (पशुराम )से हुई , जो उस जड़ी बूटी के बारे में जानता था। पशुराम को हराने को हराने बाद,शिव को पता चला कि वह एक वासुदेव है जो शिव के सफर में उन्हें मार्गदर्शक कर है। दूसरी तरफ पशुराम भी नीलकंठ (शिव) को देखकर हैरान थे ,पुशराम को पछतावा हुआ कि उनोह्णे नीलकंठ पर हमला किया। पशुराम ने नीलकंठ (शिव) औषधि बनाने का तरीका बता दिया। ।

काशी लौटना …..
जब शिव काशी पहुंचे तो सती ने अपनी नागा बहन काली से मिलाया और अपने पुत्र गणेश मिलवाया। शिव ने गणेश को पहचान लिया वह वही व्यक्ति है जिसने उसके प्रिय मित्र ब्रस्पति को मार दिया था। इसलिए शिव गणेश से गुस्सा था और सती से भी।

शिव से माफ़ी …….
पर एक दिन ,जब कार्तिक बगीचे में खेल रहा था तो गणेश ने कार्तिक को खूंखार शेरों से बचाया। यह सुनकर शिव ने गणेश को माफ़ कर दिया।

दक्ष का सच …..
फिर दक्ष ने अपना गुनाह मान लिया कि उसने सती के पहले पति का खून किया और यह बात भी छुपाई सती का पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ है। इसके इलावा अपनी नागा पुत्री को छिपाया। दक्ष ने शिव पर आरोप लगाया कि उसकी वजह से सती उस पर विश्वास नहीं करती।यह जानकर सती को बहुत दुःख हुआ।

पंचवटी जाने का फैसला ……
काली के कहने पर शिव पचवटी गए। पंचवटी का रास्ता दण्डक जंगल से था। सफर करते समय ,मुहासिरा ने नदी की तरफ से दैवी अस्त्रों से हमला किया। यह अस्त्र रूद्र जो भारत के महान सर्वोच्च शासक द्वारा मना किया गया था। वहां से भागने के बाद ,शिव और सती को पता चला कि इसके पीछे दक्ष है।

एक और रहसय …..
अंत में, शिव पंचवटी पहुंच गए। काली ने शिव को पंचवटी के विद्यालय में ले गयी जहाँ उनका प्रिय मित्र बृहस्पति अपने छात्रों को पढ़ा रहे हैं। “सिर्फ इसलिए कि आप इसकी कल्पना नहीं कर सकते, इसका मतलब यह नहीं है कि यह अस्तित्व में नहीं है।”

सवाल : बृहस्पति की तो मृत्युं घोषित कर दिया था | अगर वो उस विस्फोट से बच गया तो वो वह शिव मिलने क्यों नहीं आया ? ब्रशस्पति पंचवटी में क्यों थे ?क्या कारण था ?

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